- प्रो. चंद्रशेखर नौटियाल ने दून विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यभार ग्रहण कर लिया है। नौटियाल इससे पहले नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआइ) लखनऊ में निदेशक थे। मूल रूप से देहरादून निवासी प्रो. चंद्रशेखर नौटियाल ने 27 नवंबर, 2010 को नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ (सीएसआइआर-एनबीआरआइ) के निदेशक का पदभार संभाला। प्रो. नौटियाल ने वर्ष 1977 में लखनऊ विवि से बॉटनी में एमएससी की। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1982 में एमएस यूनिवर्सिटी बड़ोदरा से डाक्टर आफ फिलॉसफी की। उन्होंने करीब दस वर्षों तक अमेरिका एवं कनाडा में कई अहम पदों पर सेवाएं दीं। उन्होंने फरवरी 1994 में नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ में बतौर साइंटिस्ट कार्य प्रारंभ किया।
- डॉ. विक्रम चंद्र ठाकुर को पदमश्री से सम्मानित
उत्तराखण्ड के भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. विक्रम चंद्र ठाकुर को पदमश्री से नवाजा गया. मूलतः अस्कोट, पिथौरागढ़ के रहने वाले डॉ. विक्रम चंद्र ठाकुर, वाडिया इंस्टिट्यूट में निदेशक के पद पर रह चुके है.
- उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसेक) के निदेशक पद पर गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के वरिष्ठ भू विज्ञानी डॉ. महेंद्र प्रताप ¨सह बिष्ट का कार्यकाल तीन साल का होगा।
- राष्ट्रपति भवन में शनिवार को फर्स्ट लेडीज कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने असाधारण चुनौतियों को पार कर अपनी अलग पहचान बनाने वाली 112 महिलाओं को सम्मानित किया। सम्मान पाने वाली इन महिलाओं में उत्तराखंड की जागर सम्राट बसंती बिष्ट और पर्वतारोही बछेंद्री पाल भी शामिल रही। चमोली जिले के ल्वाना गांव में जन्मी बसंती बिष्ट ने पहाड़ के पारम्परिक गायन को बड़े मंचों में स्थान दिलवाया। उत्तराखंड में गाये जाने वाले जागर को दुनियाभर के मंचों तक पहुंचाने वाली बसन्ती बिष्ट को भारत सरकार ने 26 जनवरी 2017 को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा। जागर गायन पहाड़ों में देवी की पूजा अर्चना के साथ विभिन्न अवसरों पर किया जाता है। छेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला हैं। साथ ही एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही के रूप में भी इन्हें जाना जाता है। बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई 1954 में उत्तराखंड के नकुरी उत्तरकाशी में हुआ था।
- मिस इंडिया ग्रैंड इंटरनेशनल एवं टीवी एंकर अनुकृति गुसाईं उत्तराखंड में सरकार की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एंबेसडर बन गई हैं।
- उत्तराखंड हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग सदस्य रहे राजेश टंडन को उत्तराखंड विधि आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि, इससे पहले भी टंडन अल्पकाल (जनवरी 2017 से अप्रैल 2017) के लिए इस पद पर रहे थे, लेकिन फिर सरकार ने यह जिम्मेदारी उनसे वापस ले ली थी। अब नई नियुक्ति के रूप में उन्हें दोबारा अध्यक्ष बनाया गया है।
- साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार प्रोफेसर दिनेश चमोला'शैलेष' को राष्ट्रीय साहित्य अकादमी दिल्ली ने उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों की ओर से जनरल काउंसिल का सदस्य मनोनीत किया है। इनका कार्यकाल 31 दिसंबर, 2022 तक रहेगा। इसके अलावा साहित्यकार प्रोफेसर दिनेश चमोला को डॉ.राष्ट्रबंधु सम्मान 2018 के लिए चुना गया है। भारतीय कल्याण संस्थान, कानपुर की ओर से फरवरी 2018 में संस्थान के 59वें राष्ट्रीय सम्मान समारोह में उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। मूल रूप से रुद्रप्रयाग निवासी प्रो. चमोला की अब तक 75 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रो. चमोला वर्तमान में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में हिंदी और भाषा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष हैं।
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